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Source
हिंदुस्तान समाचार
https://www.hindusthansamachar.in/Encyc/2022/11/3/HP-Election-Candidates-criminal-history.php
Author
उज्ज्वल, वीरेन्द्र
Date
City
Shimla

हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे 412 उम्मीदवारों में 23 फीसदी यानी 94 उम्मीदवार आपराधिक रिकॉर्ड वाले हैं। इनमें 50 उम्मीदवारों पर गम्भीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। तीन पर हत्या और दो पर हत्या के प्रयास के मामले बने हैं।

सभी उम्मीदवारों के चुनावी नामांकन पत्र के साथ जमा किए गए शपथ पत्रों को खंगालने के बाद भारत ज्ञान विज्ञान समिति और हिमाचल इलेक्शन वॉच के अध्ययन से ये खुलासा हुआ है।

अध्ययन के मुताबिक 12 फीसदी यानी 50 उम्मीदवारों के खिलाफ संगीन अपराध में संलिप्त रहने के आरोप में मामले दर्ज हैं।

हिमाचल इलेक्शन वॉच के समन्वयक और भारत ज्ञान विज्ञान समिति के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ ओम प्रकाश भूरेटा ने बताया कि प्रदेश में 412 में से 94 (23 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं। जबकि पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में कुल 338 में से 61 (18 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये थे।

उन्होंने कहा कि इस बार 412 में से 50 (12 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किये हैं। जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में 31 (9 प्रतिशत) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्शाए थे।

उन्होंने कहा कि इस बार पांच उम्मीदवारों ने महिलाओं के ऊपर अत्याचार से सम्बन्धित मामले घोषित किये हैं। इसी तरह तीन उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या (आईपीसी-302) से सम्बन्धित मामले बताये हैं।दो उम्मीदवारों ने अपने ऊपर हत्या का प्रयास (आईपीसी-307) से सम्बन्धित मामले घोषित किये हैं।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस में आपराधिक रिकार्ड वाले सर्वाधिक उम्मीदवार हैं। कांग्रेस के 68 उम्मीदवारों में से 36 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जबकि भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) में ऐसे 12-12 उम्मीदवार हैं। इसके अलावा बसपा के दो उम्मीदवारों पर भी एफआईआर दर्ज है। कांग्रेस के 17, भाजपा व आप के छह-छह और बसपा के एक उम्मीदवार के खिलाफ संगीन धाराओं में एफआईआर है।

डॉ ओम प्रकाश भूरेटा ने बताया कि हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 में उम्मीदवारों के चयन में राजनीतिक दलों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि उन्होंने फिर से आपराधिक मामलों वाले लगभग 23 प्रतिशत उम्मीदवारों को टिकट देने की अपनी पुरानी प्रथा का पालन किया है।


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