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Source
दिव्य हिमाचल
https://www.divyahimachal.com/2022/11/hp-election-income-increased-by-30-after-becoming-mla/
Author
Rohit Sharma
Date
City
Shimla

विधायक बनने के बाद प्रत्याशियों की आय में भारी उछाल आता हैं। इस बात का खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) और हिमाचल प्रदेश इलेक्शन वॉच की ओर से जारी रिपोर्ट में हुआ हैं। एसोसिएशन ने ने हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव-2022 में फिर से चुनाव लडऩे वाले 58 विधायकों के हलफनामों का विश्लेषण किया है। इस विश्लेषण में पाया गया है कि फिर से चुनाव लडऩे वाले 58 वर्तमान विधायकों की कुल संपति की 84 प्रतिशत संपति 49 विधायकों के पास हैं। इन विधायकों की इनकम में पिछले पांच सालों में यानि 2017 के बाद पांच प्रतिशत से लेकर 1167 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई हैं। वहीं 16 प्रतिशत संपति 9 विधायकों के पास हैं। इनकी आय बढऩे के बजाए पिछले 5 सालों में घटी हैं। इन विधायकों की आय में माइनस 4 से लेकर माइनस 37 प्रतिशत तक की गिरावट आई हैं।

2017 में निर्दलीय सहित विभिन्न दलों द्वारा फिर से चुनाव लड़ रहे इन 58 विधायकों की औसत संपत्ति 9.30 करोड़ रुपये थी। 2022 में फिर से चुनाव लड़ रहे इन 58 विधायकों की औसत संपत्ति अब 12.08 करोड़ रुपए है। 2017 और 2022 के हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के बीच इन 58 दोबारा चुनाव लडऩे वाले विधायकों की औसत संपत्ति वृद्धि 2.77 करोड़ रुपए है। यानी इन 58 चुनाव लडऩे वाले विधायकों की संपत्ति में औसत प्रतिशत वृद्धि 30 प्रतिशत है। हिमाचल इलेक्शन वॉच और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भारत ज्ञान विज्ञान समिति के समन्वयक डा. ओम प्रकाश भूरेटा का कहना है कि धनबल और बाहुबल की भूमिका इस तथ्य से स्पष्ट है कि हिमाचल प्रदेश के चुनावों में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने 36 प्रतिशत से 90 प्रतिशत करोड़पति उम्मीदवारों और 18 प्रतिशत से 64 प्रतिशत आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा हैं। धनबल और बाहुबल के बीच यह घनिष्ठ और खतरनाक सांठगांठ हमारी चुनावी व्यवस्था में इस कदर समा गई हैं कि नागरिक वर्तमान स्थिति के बंधक रह गए हैं। धनबल और बाहुबल ने ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’, ‘सहभागी लोकतंत्र’ और ‘चुनावी मैदान’ के सिद्धांतों को चोट पहुंचाई है। इसलिए वर्तमान परिस्थितियों में मतदाताओं द्वारा व्यापक विचार-विमर्श की मांग की गई है।


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