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Source
Live Hindustan
https://www.livehindustan.com/uttar-pradesh/story-46-percent-candidates-in-the-second-phase-of-lok-sabha-elections-are-crorepatis-know-who-is-the-richest-and-how-many-have-criminal-cases-9786002.html
Author
Deep Pandey
Date
City
Lucknow

यूपी में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 46 प्रतिशत उम्मीदवार करोड़पति है। आठ निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले सभी 91 उम्मीदवारों के शपथपत्रों से जानें कौन है सबसे अधिक धनवान-

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश की आठ लोकसभा सीटों पर लड़ रहे उम्मीदवारों में 91 में से 42 यानी 46 फीसदी उम्मीदवार करोड़पति हैं। बहुजन समाज पार्टी के 8 में से 8, भाजपा के 7 में से 7, समाजवादी पार्टी के 4 में से 4 यानी सौ फीसदी प्रत्याशी करोड़पति हैं। इसी तरह कांग्रेस के 4 में से 3 यानी 75 फीसदी, जय हिन्द नेशनल पार्टी के 2 में से 2 और समाज विकास क्रांति पार्टी के एक उम्मीदवार करोड़पति है। उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में आठ निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले सभी 91 उम्मीदवारों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया है। यह प्रत्याशी अलीगढ़, अमरोहा, बागपत, बुलंदशहर, गौतमबुðद्ध नगर,  गाजियाबाद, मथुरा और मेरठ से चुनाव लड़ रहे है।

हेमा मालिनी सबसे धनी उम्मीदवार

दूसरे चरण के प्रत्याशियों में मथुरा से भाजपा से लड़ रहीं हेमा मालिनी सबसे धनी उम्मीदवार हैं, जिनकी संपत्ति लगभग 278 करोड़ है। सतीश कुमार गौतम, अलीगढ़ से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिनकी संपत्ति 16 करोड़ है। मेरठ से देववर्त बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, जिनकी संपत्ति 5 करोड के आसपास हैं।
 दूसरे चरण के इन उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 10.05 करोड़ है। मुख्य दलों में बहुजन समाज पार्टी  के आठ उम्मीदवारों की औसत संपत्ति लगभग 10.75 करोड़ है। भाजपा के सात उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 91.23 करोड़ है। समाजवादी पार्टी के चार उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 17.34 करोड़ है। वहीं कांग्रेस के चार उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 3.56 करोड़ है।

91 में 21 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले 
उम्मीदवारों द्वारा घोषित आपराधिक मामले 91 में से 21(23%) उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं, इनमें से 18 फीसदी उम्मीदवारों पर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए गए है। अपराधिक मामले घोषित करने वाले उम्मीदवारों का दलवार विवरण देखा जाए तो बसपा के आठ में से तीन यानी 38 फीसदी, बीजेपी  के सात में से दो यानी 29 फीसदी, सपा के चार में से चार यानी सौ फीसदी, कांग्रेस के चार में से दो यानी 50 फीसदी, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के तीन में से दो यानी 67 फीसदी उम्मीदवारों ने अपने ऊपर अपराधिक मामले घोषित किए हैं। 
उम्मीदवारों द्वारा घोषित गंभीर आपराधिक मामलों में बहुजन समाज पार्टी के 25, भाजपा के 29 , समाजवादी पार्टी के 50, कांग्रेस के 50, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के 33, उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं।
आपराधिक मामलों में पंडित केशवदेव गौतम जो अलीगढ़ से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उन पर 5 आपराधिक मामले दर्ज हैं। दूसरे नम्बर पर आपराधिक छवि के उम्मीदवार में अमरपाल हैं जो बागपत से सपा के उम्मीदवार हैं। इनके ऊपर नौ आपराधिक मामले हैं। वही तीसरे नंबर पर हाजी अफज़ल जो मेरठ से सबसे अच्छी पार्टी के उम्मीदवार हैं, जिनके ऊपर दो आपराधिक मामले पंजीकृत है। 

52 उम्मीदवार स्नातक या और ज्यादा पढ़े लिखे
यूपी इलेक्शन वॉच के राज्य संयोजक संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि दूसरे चरण में 91 में से 33 उम्मीदवारों ने अपनी शैक्षिक योग्यता 5वीं और 12वीं के बीच घोषित की है,  जबकि 52 उम्मीदवारों ने शैक्षिक योग्यता स्नातक और इससे ज़्यादा घोषित की हैं। दो उम्मीदवार ने शैक्षिक योग्यता डिप्लोमा धारक घोषित की है। दो उम्मीदवारों ने  शैक्षिक योग्यता साक्षर और दो ने योग्यता असाक्षर घोषित की है।

42 उम्मीदवार 41 से 60 वर्ष के बीच
दूसरे चरण में उम्मीदवारों की आयु की बात करें तो 91 में से  31 उम्मीदवारों की आयु 25 से 40 वर्ष के बीच घोषित की है, जबकि 42 यानी 46 प्रतिशत उम्मीदवारों ने आयु 41 से 60 वर्ष के बीच घोषित की है। 18 यानी 20 प्रतिशत ने आयु 61 से 80 वर्ष के बीच घोषित की है।

दस फीसदी महिलाएं लड़ रहीं चुनाव
लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण में 9 यानी 10 प्रतिशत महिला उम्मीदवार चुनाव लड़ रही है। मुख्य संयोजक यूपी इलेक्शन वॉच एडीआर के संजय सिंह ने कहा कि देश की सबसे बड़ी संसद में अभी भी साक्षर एवं निरीक्षर लोग अपनी किस्मत अजमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां एक तरफ देश में साक्षरता लगातार बढ़ रही है लेकिन देश की संसद में इस तरह के उम्मीदवार अभी भी देखने को मिल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के कई अहम आदेशों के बाद भी सभी दलों ने अपराधी प्रवृत्ति के प्रत्याशियों को प्रत्याशी बनाने में कोई कमी नहीं दिखाई। यह बात साफ है कि अगर किसी भी अपराधी व्यक्ति को टिकट दे रहे हैं तो उसका कारण बताना पड़ेगा और कारणों के साथ ही मीडिया में भी प्रकाशित करना होगा, लेकिन चुनाव में यह सब देखने को नहीं मिल रहा है।, 


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